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एनआईए का छापा, गुंडों को ठिकाने लगाने वाला अभियान।

सोमवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए ने चार राज्यों में गली के गुंडों-गैंगस्टर्स के अड्डों पर छापे क्या मारने शुरू किए, देश में मानो कोलाहल ही मच गया. जिन चार राज्यों में एनआई ने यह कदम उठाया, उस हर राज्य की पुलिस इस बात पर हैरत में थी कि आखिर उसमें ऐसी क्या कमी थी जो मैदान में एनआईए को उतरना पड़ गया? अब जब इन गुंडों के अड्डों पर छापेमारी को हुए करीब एक पूरा दिन गुजर चुका है तब अंदर की बातें निकल कर बाहर आने लगी हैं.

सोमवार को एनआईए ने जिस तरह से देश की राजधानी दिल्ली सहित चार राज्यों में बदनाम कुख्यात गैंगस्टर्स के अड्डों पर घेराबंदी शुरू की थी, वो वाकई हैरान करने वाली थी. कहा गया था कि इस छापेमारी से पहले उसकी तैयारियां कराने में यूं तो सभी राज्य पुलिस का सहयोग रहा था। इस सहयोग में मगर सबसे ऊपर या पहले पायदान पर रही दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल. स्पेशल सेल ने दरअसल नीरज बवाना, लॉरेंस बिश्नोई जैसे देश के कुख्यात गैंगस्टर्स की जड़ें काफी पहले से खोद भी रखी थीं. इसलिए जाहिर सी बात है कि इन गुंडों के बारे में अंदर की बातें भी दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल को ही ज्यादा मालूम होंगी।

दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के ही सूत्रों की मानें तो, “एनआईए ने यह छापे एक खास प्लानिंग के तहत मारे हैं। इन छापों में काफी कुछ हाथ भी लगा है. एनआईए चूंकि राष्ट्रीय जांच एजेंसी है। जबकि हर राज्य पुलिस के काम करने की सीमाएं उसकी अपनी कानूनी हदों तक सीमित हैं। जब सभी राज्यों से जानकारियां इकट्ठी हो गई तो उन्हीं जानकारियों को एनआईए ने अपने स्तर पर कड़ी से कड़ी जोड़ना शुरू कर दिया। उसके बाद छापों की कार्यवाही सीधे-सीधे एनआईए ने अपने स्तर पर की। राज्य पुलिस की भूमिका सिर्फ गैंगस्टर्स के बारे में अपने पास मौजूद फौरी जानकारियां देने भर की थी। एनआईए की स्वतंत्रता है कि वो कहीं भी किसी भी जांच को अपने आप अपने हाथ में लेकर अंजाम तक पहुंचा सकती है. जबकि राज्य पुलिस के लिए इस तरह के अधिकार नहीं है.”

दिल्ली पुलिस मुख्यालय सूत्रों के मुताबिक, “लॉरेंस बिश्नोई हो या फिर गोल्डी बरार या नीरज बवाना. इन सभी गैंगस्टर्स की जन्म कुंडली बनाने पर सबसे ज्यादा मेहनत दिल्ली पुलिस ने ही की है. लॉरेंस बिश्नोई को तो बीते 29 मई 2022 को पंजाब के मानसा जिले में हुए पंजाब सिंगर सिद्धू मूसेवाला हत्यााकांड में दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने जेल से निकाल कर कई दिन तक पूछताछ भी की थी. उसी के दमखम पर फिर दिल्ली पुलिस ने सिद्धू मूसेवाला के हमलावरों को पकड़ा था. लिहाजा ऐसे में इतनी बड़ी छापामारी करने से पूर्व एनआईए को तमाम जानकारियां उपलब्ध कराना दिल्ली पुलिस की जिम्मेदारी भी बनती थी.” यहां बताना जरूरी है कि इस तरह एक साथ गैंगस्टर्स के अड्डों को एनआईए ने देश में पहली बार खंगाला है. इससे पहले तक ऐसा मौका कभी नहीं आया था. वो भी यह नौबत तब आई जब इन गैंगस्टर्स के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क स्थापित हो गए. इनमें से कुछ गैंगस्टर्स के लिंक्स तो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से भी पता चले हैं. लिहाजा ऐसे में एनआईए की एंट्री होना तो तय थी ही.

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