
नई दिल्लीः विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भारत में उत्पादित तीन कफ सिरप – कोल्ड्रिफ, रेस्पिफ्रेश टीआर और रीलाइफ – को घटिया श्रेणी का बताते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलर्ट जारी किया है। इनमें जहरीले पदार्थ की मौजूदगी पाई गई है, जिससे संगठन ने सभी देशों के दवा नियामक संस्थाओं से अपील की है कि अगर ये उत्पाद उनके क्षेत्र में मिलें तो फौरन सूचना दें। स्वास्थ्यकर्मियों को भी निर्देश दिए गए हैं कि ऐसे मामलों में मरीजों पर नजर रखें और किसी भी नकारात्मक प्रभाव की रिपोर्ट स्थानीय फार्माकोविजिलेंस केंद्रों को भेजें।
यह चेतावनी ऐसे समय आई है जब मध्य प्रदेश में कोल्ड्रिफ सिरप के सेवन से किडनी फेलियर के शक में कम से कम 22 बच्चों की जान जा चुकी है, जबकि राजस्थान में इसी तरह की दवा से तीन बच्चों की मौत हुई है। डब्ल्यूएचओ ने संबंधित देशों से आपूर्ति chain की सख्त निगरानी करने और अनियमित बाजारों में छापेमारी बढ़ाने की सिफारिश की है। सोमवार को जारी इस अलर्ट में जोर दिया गया कि दिसंबर 2024 के बाद इन कंपनियों द्वारा बने उत्पादों पर विशेष ध्यान दें।
ये सिरप सर्दी, जुकाम और खांसी जैसी सामान्य बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल होते हैं, लेकिन इनमें डाइएथिलीन ग्लाइकॉल नामक खतरनाक केमिकल मिला है। भारत के सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) ने 8 अक्टूबर को डब्ल्यूएचओ को इसकी जानकारी दी, जबकि 30 सितंबर को बच्चों की मौतों के बारे में पहले ही सूचित किया जा चुका था। जांच में पुष्टि हुई कि मरने वाले बच्चों ने इन्हीं दवाओं का इस्तेमाल किया था।
इन दवाओं का उत्पादन श्रीसन फार्मास्युटिकल्स, रेडनेक्स फार्मास्युटिकल्स और शेप फार्मा नामक कंपनियों ने किया। राज्य सरकारों ने फैक्टरियों में उत्पादन रोका, लाइसेंस सस्पेंड किए और बाजार से दवाएं वापस मंगवाईं। सीडीएससीओ ने स्पष्ट किया कि भारत से इनका निर्यात नहीं हुआ और कोई अवैध export का प्रमाण नहीं मिला, लेकिन डब्ल्यूएचओ ने वैश्विक सतर्कता बरतने को कहा है।
ये दवाएं मानव स्वास्थ्य के लिए घातक हैं क्योंकि डाइएथिलीन ग्लाइकॉल की छोटी मात्रा भी जान ले सकती है। इससे पेट में दर्द, मतली, दस्त, सिरदर्द, भ्रम और तेजी से गुर्दे की खराबी जैसे संकेत दिखते हैं, जो मौत का सबब बन सकते हैं। डब्ल्यूएचओ ने इन उत्पादों को तत्काल हटाने पर बल दिया और आम लोगों से कहा कि अगर ये सिरप घर में हैं तो इस्तेमाल न करें। अगर सेवन के बाद कोई समस्या हो तो डॉक्टर से संपर्क करें या पॉइजन कंट्रोल सेंटर पहुंचें। इससे मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और आगे की घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी।