सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित बच्चों को आत्मनिर्भर बना रहा PMR, हर साल 5 हजार बच्चों का इलाज कर रहा KGMU

किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने का जिम्मा पीएमआर विभाग बीते 15 सालों से निभा रहा है। हर साल इस बीमारी से पीड़ित करीब 5 हजार बच्चे इलाज के लिए विभाग में पहुंचते हैं। हालांकि इस विभाग के चिकित्सकों ने लोगों से अपील है कि इसे बीमारी न समझें बल्कि ऐसे बच्चों को विशेष योग्ता वाला मानना चाहिए।
पीएमआर विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अनिल गुप्ता के मुताबिक हर एक हजार में चार बच्चे सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित होते हैं। ऐसे में इस समस्या के प्रति लोगों में जागरुकता लाना जरूरी है। तभी सेरेब्रल पाल्सी से ग्रसित बच्चों को समाज में सम्मान और समान अवसर मिल सकता है।
क्या है सेरेब्रल पाल्सी
डॉ. अनिल गुप्ता ने बताया कि सेरेब्रल पाल्सी एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जो बच्चों के मानसिक विकास को प्रभावित करती है, जिससे इस समस्या से पीड़ित बच्चों को बोलने, चलने और संतुलन बनाने में दिक्कत आती है। उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चों को प्रोत्साहित करने के साथ शिक्षा, सहयोग देकर आत्मनिर्भर बनाना चाहिए। उन्होंने बताया कि पीएमआर विभाग के चिकित्सक डॉ. दिलीप कुमार, डॉ. सुधीर मिश्रा, डॉ. गणेश यादव, डॉ. संदीप गुप्त, डॉ. आराधना, डॉ. अरविन्द और सीनियर आक्यूपेशनल थेरेपिस्ट नितेश श्रीवास्तव इस दिशा में बेहतर काम कर रहे हैं। नर्व ब्लॉक, बोटॉक्स इंजेक्शन, सर्जरी, फिजियोथेरेपी, स्पीच थेरेपी समेत उपचार के विभिन्न तरीकों से बच्चों को रोजमर्रा की गतिविधियों के लिए आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है।
कारण
सेरेब्रल पाल्सी मस्तिष्क को नुकसान पहुंचने पर होता है। गर्भावस्था के दौरान संक्रमण, समय से पहले बच्चे का जन्म भी इस समस्या के जोखिम बढ़ा सकते हैं। यह जन्म के दौरान या गर्भ में पल रहे बच्चे को हो सकता है, जन्म के कुछ वर्षों बाद भी बच्चों में यह समस्या हो सकती है।
लक्षण
मांसपेशियों में जकड़न, खराब संतुलन और चलने-फिरने में दिक्कत। भोजन करने, सांस लेने में कठिनाई, सीखने की अक्षमता, शाररीकि विकास में देरी, मिर्गी, देखने और सुनने में समस्यायें हो सकती हैं।