कृषि और दवाओं पर वनस्पति विज्ञान विभाग करेगा शोध, सरकार की ओर से मिला 1 करोड़ 80 लाख का प्रोजेक्ट

लखनऊ विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के तीन शिक्षकों को चिकित्सा और कृषि में अनुसंधान के लिए सामूहिक रूप से 1.8 करोड़ रुपये का अनुदान मिला है। जिस पर मिट्टी में लवणता, कृषि भूमि सुधार और फसलोत्पादन बढ़ाने पर शोध किया जाएगा। वनस्पति विज्ञान विभाग की प्रो. गौरी सक्सेना को केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद द्वारा 77 लाख रुपये की राशि प्रदान की गई है।
उनकी परियोजना पौधों से बनी होम्योपैथिक दवाओं के मानकीकरण, गुणवत्ता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने पर केंद्रित होगी। इस शोध से पौधों से प्राप्त दवाओं के लिए स्पष्ट मानक तय करने में मदद मिलेगी ताकि मरीजों को सुरक्षित और प्रभावी उपचार मिल सकें।
विभाग के दूसरे शिक्षक प्रो. प्रवीण गुप्त को राष्ट्रीय अनुसंधान प्रतिष्ठान से 59.4 लाख रुपये का अनुदान मिला है। उनका शोध लवणीय मिट्टी में बाजरे की वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए नाइट्रिक ऑक्साइड आधारित नैनो कंपोजिट के उपयोग पर केंद्रित होगा। प्रो. गुप्ता के अनुसार इससे किसानों को उन क्षेत्रों में भी स्वस्थ फसलें उगाने में मदद मिलेगी जहां मिट्टी में नमक की मात्रा अधिक है। जिससे खाद्य सुरक्षा चुनौतियों का समाधान हो सकेगा।
वनस्पति शास्त्र विभाग की डॉ. सुषमा मिश्रा ने औषधीय यौगिकों, विशेष रूप से पिपेरिन के उत्पादन के वैकल्पिक स्रोत के रूप में सूक्ष्म जीवों पर अपने शोध के लिए एएनआरएफ से 50.29 लाख रुपये का अनुदान प्राप्त किया है। डॉ. सुषमा मिश्र की परियोजना इस बात पर शोध करती है कि महत्वपूर्ण दवाओं के अधिक कुशलतापूर्वक और स्थायी उत्पादन के लिए सूक्ष्म जीवों का उपयोग कितना लाभकारी हो सकता है।
गुड और बैड बैक्ट्रिया पर हो चुका है शोध
डॉ. सुषमा मिश्रा ने मानव शरीर के बैक्ट्रिया पर भी कार्य किया है। वह बताती है कि हमारी अच्छी आदतें हमारे अच्छे बैक्ट्रियां में बढोत्तरी करती हैं, जबकि हमारे शरीर में मौजूद बैड बैक्ट्रिया हमारे बुरी आदतों को संचालित करती हैं। इसके लिए हमें अच्छी आदतों, खानपान और योग व्यायाम के माध्यम से अपने अच्छे बैक्ट्रियां को बढ़ाना चाहिए।