
दिल्ली। संसद ने बृहस्पतिवार को ऑनलाइन गेमिंग को विनियमित करने एवं शैक्षणिक और सामाजिक ऑनलाइन खेलों को बढ़ावा देने वाले एक महत्वपूर्ण विधेयक को मंजूरी दे दी तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि समाज में एक बहुत बड़ी बुराई आ रही है जिससे बचने के लिए इस विधेयक को लाया गया है।
राज्यसभा में ‘ऑनलाइन खेल संवर्धन और विनियमन विधेयक, 2025’ को आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव के जवाब के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। लोकसभा इसे बुधवार को ही पारित कर चुकी है। उच्च सदन में विधेयक को चर्चा के लिए पेश करते हुए वैष्णव ने कहा कि ‘ऑनलाइन मनी गेम’ आज समाज में बड़ी चिंता का विषय बन गया है और कई ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें इसकी लत लग जाती है तथा वह जिदंगी भर की बचत (ऑनलाइन) गेम में उड़ा देते हैं।
आनलाइन गेमिंग के कारण कई परिवार बर्बाद
मंत्री ने कहा कि इस आनलाइन गेमिंग के कारण कई परिवार बर्बाद हो गए और कई आत्महत्याएं हुई हैं। उन्होंने इस संबंध में कई खबरों का हवाला भी दिया। उन्होंने इस बात पर चिंता जतायी कि देश के युवाओं से जुड़े इस महत्वपूर्ण विधेयक पर विपक्ष के सदस्यों को चर्चा में भाग लेना चाहिए। जिस समय वैष्णव यह बात कह रहे थे, विपक्ष के सदस्य बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर नारेबाजी कर रहे थे।
हंगामे के कारण संसदीय मामलों के मंत्री किरेन रीजीजू ने प्रस्ताव किया कि इस विधेयक को बिना चर्चा के पारित कराया जाये जिसे उप सभापति हरिवंश ने मान लिया। इससे पहले वैष्णव ने कहा, ‘‘यह लगभग स्थापित हो गया है कि ऑनलाइन गेमिंग, मनी गेमिंग के कारण परिवारों पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।’’ उन्होंने दावा किया कि ऑनलाइन गेमिंग से धन शोधन और आतंकवाद का वित्तपोषण भी हो रहा है।
विधेयक में भी समाज के कल्याण को प्राथमिकता
उन्होंने कहा कि सरकार ‘ई-स्पोर्ट्स’ और ‘ऑनलाइन सोशल गेमिंग’ को बढ़ावा देना चाहती है तथा इनके लिए प्राधिकरण बनाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि गेम निर्माताओं को सहायता दी जाएगी। मंत्री ने कहा, ‘‘जब समाज और सरकार के राजस्व के बारे में चिंता करनी होती है तो इन दोनों के बीच में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हमेशा मध्यम वर्गीय परिवार (के कल्याण) को ही चुना है, हमेशा समाज के फायदे को ही चुना है, कभी इससे समझौता नहीं किया है। और इस विधेयक में भी समाज के कल्याण को प्राथमिकता दी गई है।’’
उन्होंने ऑनलाइन गेमिंग का हवाला देते हुए कहा, ‘‘समाज में जो एक बहुत बड़ी बुराई आ रही है उससे बचने के लिए यह विधेयक लाया गया है।’’ विधेयक में ऑनलाइन ‘मनी गेमिंग’ या उसके विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने के प्रावधान हैं और यह इन्हें पेश करने या विज्ञापन देने वालों के लिए कारावास या जुर्माना, या दोनों का प्रावधान करता है।
ऑनलाइन मनी गेम में कोई व्यक्ति अधिक पैसा पाने की चाह में धन लगाकर खेलता है। यह विधेयक सभी तरह की ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुआ संबंधी गतिविधियों को प्रतिबंधित करता है। इनमें पोकर, रमी जैसे गेम शामिल हैं। विधेयक में ऑनलाइन मनी गेमिंग की पेशकश या सुविधा प्रदान करने पर तीन वर्ष तक की कैद और/या एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है।
50 लाख रुपये तक का जुर्माना, 2 साल तक की कैद
मनी गेम का विज्ञापन करने पर दो साल तक की कैद और/या 50 लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है। मनी गेम से संबंधित वित्तीय लेनदेन को बढ़ावा देने पर तीन साल तक की कैद और/या एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। बार-बार अपराध करने पर तीन से पांच साल तक की कैद और दो करोड़ रुपये तक के जुर्माने सहित बढ़ी हुई सज़ा दी जा सकती है। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि विधेयक में प्रमुख धाराओं के तहत अपराधों को संज्ञेय और गैर-जमानती बनाने की मांग की गई है।
राज्य की सीमाओं के पार या विदेश से संचालित
इस विधेयक में ई-स्पोर्ट्स, शैक्षणिक खेल और सामाजिक खेल सहित ऑनलाइन खेल क्षेत्र को बढ़ावा देने, उसे विनियमित करने और इसके विकास तथा विनियमन के लिए एक प्राधिकरण की स्थापना का भी प्रावधान है। विधेयक में किसी कम्प्यूटर, मोबाइल उपकरण या इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाइन ‘मनी गेम’ के प्रस्ताव, संचालन, सरलीकरण, विज्ञापन, प्रचार और भागीदारी को निषिद्ध किया गया है, विशेषकर जहां ऐसे क्रियाकलाप राज्य की सीमाओं के पार या विदेश से संचालित होते हैं। उच्च सदन में विधेयक पारित होने के बाद दोपहर दो बजकर 28 मिनट पर कार्यवाही को दस मिनट के लिए उपसभापति हरिवंश ने स्थगित कर दिया।