
- उप राष्टपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद भाजपा में बैठकों का दौर तेज
- भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी अध्यक्ष के चुनाव में बढ़ सकती है देरी
- केंद्रीय मंत्रिमंडल के साथ ही यूपी कैबिनेट में भी आने वाले समय में दिख सकता है बदलाव
नयी दिल्ली। राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ ही उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की पेचिदगी सुलझाने में जुटी भाजपा के सामने अब नये उप राष्टÑपति के लिए प्रत्याशी तलाशने का भी काम मिल गया है। ऐसी स्थिति में अब माना जा रहा है कि राष्ट्रीय और यूपी अध्यक्ष के चुनाव में कुछ और देरी हो सकती है। इसके साथ ही यह भी तय माना जा रहा है कि अब भाजपा संगठन में उत्तर प्रदेश से लेकर केंद्रीय संगठन और उत्तर प्रदेश कैबिनेट के साथ ही मोदी सरकार में बड़ा फेरबदल देखने को मिल सकता है।
भाजपा अगले कुछ दिनों में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के साथ ही उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को लेकर रायशुमारी में जुटी थी। इसके तहत ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पिछले दिनों दिल्ली आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एवं भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिले थे। इससे पहले उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी दिल्ली में वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात के बाद उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मुलाकात की थी। इसके बाद माना जा रहा था कि जल्द ही भाजपा नये अध्यक्ष का नामांकन करवा देगी।
इसी बीच सोमवार को अचानक घटे घटनाक्रम में उप राष्टÑपति जगदीप धनखड़ ने पद से इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद केंद्र सरकार और भाजपा संगठन नयी परिस्थितियों से मुकाबला करने की रणनीति बनाने में जुटा है। भाजपा के सामने धनखड़ की जगह उप राष्टÑपति कौन हो इसको लेकर भी माथापच्ची करनी है।
भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो आने वाले समय में यूपी भाजपा के साथ ही राष्ट्रपति संगठन में भारी बदलाव देखने को मिल सकते हैं। केंद्र सरकार से कुछ चेहरों को संगठन में भेजने की रणनीति है, इसके साथ ही संगठन से और उससे अलग भी तेज तर्रार सांसदों को केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान देने पर विचार किया जा रहा है। नया संगठन उत्तर प्रदेश में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों के साथ ही बिहार, पश्चिमी बंगाल एवं दक्षिण के राज्यों के चुनावों को ध्यान में रखकर बनाया जायेगा। अभी इसके संबंध में कोई बोलने को तैयार नहीं है अगला भाजपा अध्यक्ष कौन होगा।
इसके साथ ही 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में सपा गठबंधन से मुंह की खाने के बाद भाजपा अब कोई रिस्क लेने को तैयार नहीं है। भाजपा उत्तर प्रदेश में जातीय गणित बैठाने को लेकर लगातार प्रदेश के नेताओं को टटोल रही है। मुख्यमंत्री योगी राजपूत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछड़े वर्ग से होने के कारण भाजपा उत्तर प्रदेश में दलित अथवा ब्राह्मण अध्यक्ष को लेकर विचार कर रही है। अध्यक्ष ऐसा बनाया जायेगा जो मुख्यमंत्री योगी से भी संबंध बेहतर रख सके और संगठन पर जिसकी पकड़ भी मजबूत हो। यदि कोई यह सोचता है कि संगठन अध्यक्ष योगी से अलग चले ऐसा बनेगा तो वह मुगालते में है।
भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व इस बार उत्तर प्रदेश में सरकार और संगठन में तालमेल के साथ चलना चाहता है। यदि देखा जाये तो वर्तमान में दोनों उप मुख्यमंत्रियों केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक के साथ योगी के संबंध अच्छे नहीं है, वहीं प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से तालमेल कर नहीं चल पाये। ऐसे में संघ की भूमिका भी बड़ी होगी। वह यूपी से लेकर केंद्र तक होगी। इसके साथ ही यूपी कैबिनेट में भी कुछ अहम बदलाव होने हैं। मजबूत जातियां जो हर समय भाजपा के साथ रहती है उन्हें भी प्रतिनिधित्व देने और उनके जमीनी नेताओं को इस बार मंत्रिमंडल में स्थान मिल सकता है। ऐसे में सभी की नजरें केंद्र और संघ की तरफ लगी है कि दोनों में बेहतर तालमेल हो।