उत्तर प्रदेशलखनऊ

सुरक्षित गर्भपात मातृ स्वास्थ्य का अहम् मुद्दा : डॉ.मालविका

एक लाख से अधिक महिलाओं ने सुरक्षित गर्भपात की सेवाएं ली : डॉ. सूर्यांशु

लखनऊ। गर्भपात केवल सरकारी अस्पताल या मान्यता प्राप्त प्राइवेट अस्पताल के स्त्री रोग विशेषज्ञ या प्रशिक्षित एमबीबीएस डॉक्टर से ही कराना मान्य है।  वर्ष 2021 में इस अधिनियम में संशोधन किया गया, जिससे कुछ विशेष मामलों में गर्भपात की समय सीमा को बढ़ाकर 24 सप्ताह कर दिया गया। यह संशोधन बलात्कार, नाबालिग, भ्रूणीय विकृति वाले गर्भ और अन्य कमजोर महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। गर्भनिरोधक विफलता के कारण अनचाही गर्भावस्था के मामलों में गर्भपात की अनुमति 20 सप्ताह तक है। इसलिए ऐसे मामलों में जैसे ही महिला को गर्भनिरोधक साधनो की विफलता के फलस्वरूप गर्भ का पता चले, उन्हें तुरंत ही स्वास्थ्य इकाईयों पर आकर सुरक्षित गर्भपात की सेवाएं लेनी चाहिए। ये बातें डॉ.मालविका ने कही।

राम मनोहर लोहिया अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मालविका मिश्रा का कहना है-सुरक्षित गर्भपात मातृ स्वास्थ्य का अहम् मुद्दा है। यह केवल एक स्वास्थ्य सेवा नहीं है,बल्कि महिलाओं की गरिमा और मानवाधिकारों की रक्षा का मामला भी है। इसलिए ज़रूरी है कि समाज इस विषय पर खुली और संवेदनशील चर्चा करे ताकि महिलाओं को पता चले कि उनके पास सुरक्षित, कानूनी विकल्प हैं। हमें ऐसा माहौल बनाना चाहिए जहां महिलाएं बिना हिचकिचाहट के मदद मांगने में समर्थित और सुरक्षित महसूस करें। स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को भी सम्मानजनक, गोपनीय और उच्च गुणवत्ता वाली गर्भपात सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध होकर काम करने की ज़रूरत है।

प्रमुख बातें जो हर महिला को जाननी चाहिए:
डॉ. मालविका के अनुसार, गर्भपात के दो सुरक्षित और चिकित्सकीय रूप से मान्य तरीके हैं औषधीय गर्भपात  जो की आमतौर पर नौ सप्ताह तक की गर्भावस्था में दवाओं के माध्यम से किया जाता है। दूसरा सर्जिकल गर्भपात जो  गर्भावस्था की अवधि के अनुसार विभिन्न शल्य तकनीकों का उपयोग किया जाता है। दोनों ही विधियाँ सुरक्षित हैं, बशर्ते वे पंजीकृत चिकित्सक की देखरेख में की जाएं ।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के परिवार नियोजन कार्यक्रम के महाप्रबंधक डॉ. सूर्यांशु ओझा का कहना है कि सुरक्षित गर्भपात एक स्वास्थ्य सेवा से कहीं अधिक है – यह महिलाओं के आत्मसम्मान, जीवन रक्षा और विकल्प चुनने की स्वतंत्रता का मामला है। समाज, स्वास्थ्य सेवा प्रदाता और परिवार – सभी को मिलकर ऐसा माहौल बनाना होगा, जहां हर महिला को अपनी ज़रूरत के अनुसार सुरक्षित, सम्मानजनक और गोपनीय सेवाएं प्राप्त हों।

डॉ. ओझा के अनुसार वर्ष 2024-25 में उत्तर प्रदेश में 1,01,026 महिलाओं ने सुरक्षित गर्भपात सेवाओं का लाभ लिया। उन्होंने यह भी बताया कि औषधीय गर्भपात – प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी ) और उच्चतर स्तर के अस्पतालों पर उपलब्ध। और सर्जिकल गर्भपात – सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी), जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेजों में उपलब्ध।

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