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वनतारा और ACTP ने मिलकर 41 स्पिक्स मैकॉ तोतों को ब्राजील के जंगलों में फिर से बसाया

साल 2000 में जंगलों से विलुप्त घोषित किए गए स्पिक्स मैकॉ तोतों (Cyanopsitta spixii) को अब उनके प्राकृतिक आवास में फिर से बसाने के लिए एक ऐतिहासिक प्रयास किया जा रहा है। अनंत अंबानी के वनतारा से जुड़े ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर (GZRRC) ने एसोसिएशन फॉर द कंजर्वेशन ऑफ थ्रेटन्ड पैरट्स (ACTP) के साथ मिलकर इन विलुप्त पक्षियों को नया जीवन देने के लिए काम करना शुरू किया है।

इस प्रोजेक्ट के लिए 29 जनवरी का दिन बेहद खास रहा। इस दिन 41 स्पिक्स मैकॉ तोतों को सफलतापूर्वक जर्मनी के बर्लिन स्थित ACTP के ब्रीडिंग सेंटर से ब्राजील के बाहिया में उनके नए घर पहुंचाया गया। अनंत अंबानी का वनतारा इस वैश्विक पुनर्वास कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। साथ ही, विशेषज्ञ सलाह और संसाधन प्रदान कर रहा है, ताकि यह विलुप्त प्रजाति ब्राजील के कटिंगा जंगल में दोबारा बस सके।

इस प्रोग्राम को पहले भी कई कामयाबियां मिली हैं। साल 2022 में 20 स्पिक्स मैकॉ को जंगल में छोड़ा गया था, जिसके बाद करीब दो दशकों में पहली बार जंगल में इनके चूजों का जन्म हुआ। यह प्रोग्राम की सफलता और इसके भविष्य की संभावनाओं को दर्शाता है। आप स्पिक्स मैकॉ को हॉलीवुड फिल्म ‘रियो’ के मुख्य किरदार के रूप में पहचान सकते हैं।

ब्राजील भेजे जाने के लिए 41 स्पिक्स मैकॉ चुने गए थे। यह चुनाव उनकी सेहत और वंश परंपरा (Pedigree) के आधार पर सावधानी से किया गया था। इस ग्रुप में 23 मादा, 15 नर और 3 ऐसे चूजे थे जिनका लिंग निर्धारित नहीं था। इनमें से कुछ को जल्द ही जंगल में छोड़ दिया जाएगा, जबकि बाकी को प्रजनन कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा ताकि इनकी संख्या बढ़ाई जा सके।

ब्राजील रवाना किए जाने से पहले इन तोतों को बर्लिन में 28 दिनों तक क्वारंटीन में रखा गया। इस दौरान उनकी मेडिकल जांच भी की गई, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे किसी भी ऐसी बीमारी से ग्रसित न हों, जिससे ब्राजील के वाइल्ड इकोसिस्टम को नुकसान पहुंचे।

28 जनवरी को इन पक्षियों को बर्लिन से विशेष चार्टर्ड फ्लाइट में ब्राजील के पेट्रोलिना एयरपोर्ट लाया गया। ब्राजील पहुंचने के बाद इन्हें सीधे एक क्वारंटीन सेंटर में भेजा गया, जहां पूरी प्रक्रिया की निगरानी ACTP के दो अनुभवी डॉक्टरों, एक कीपर और वनतारा के GZRRC की एक्सपर्ट टीम ने की। इन तोतों को आसानी से ब्राजील लाने के लिए सीमा पुलिस और कस्टम अधिकारियों ने हवाई अड्डे पर एक अस्थायी कार्यालय बनाया, जिसके चलते सभी जरूरी काम जल्दी हो गए। इतना ही नहीं, तोतों और उनके साथ आए कर्मचारियों के लिए खास गाड़ियों का भी इंतजाम किया गया था।

ACTP के संस्थापक मार्टिन गुथ ने कहा, “हम ACTP की ओर से अनंत अंबानी और वनतारा का तहेदिल से शुक्रिया अदा करते हैं, जिन्होंने ‘स्पिक्स मैकॉ पुनर्वास प्रोजेक्ट’ में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनकी उदार वित्तीय सहायता के अलावा, वनतारा की विशेषज्ञता ने इस विलुप्त हो चुकी प्रजाति के सफल प्रजनन में अहम भूमिका निभाई है। वनतारा की जैव विविधता संरक्षण और विलुप्त होती प्रजातियों की रक्षा के प्रति गहरी प्रतिबद्धता, उनके संसाधन, जुनून और सहयोगी दृष्टिकोण इस पहल की सफलता में महत्वपूर्ण रही है। यह साझेदारी साझा दृष्टिकोण और प्रतिबद्धता की ताकत को दर्शाती है और हमें उम्मीद है कि यह दुनिया भर में संरक्षण प्रयासों को प्रेरित करेगी। हम वनतारा के साथ मिलकर और भी कई विलुप्त होती प्रजातियों को बचाने के अपने मिशन को आगे बढ़ाने के लिए उत्साहित हैं।”

साल 2019 में ब्राजील में एक विशेष रिलीज सेंटर स्थापित किया गया था, जिसके बाद 2020 में जर्मनी और बेल्जियम से 52 पक्षियों को वहां लाया गया। 2022 में एक बड़ी सफलता मिली, जब 20 स्पिक्स मैकॉ तोतों को जंगल में छोड़ा गया। ये पक्षी जंगल में अच्छी तरह से रह पाए। जहां इनके सात चूजे भी पैदा हुए, जो दशकों बाद पहली बार हुआ था। जंगल में इन पक्षियों की संख्या बढ़ाने के लिए हर साल और पक्षियों को छोड़ना जरूरी है। इसलिए रिलीज सेंटर में नए पक्षियों का आना जारी रहना चाहिए, ताकि यह कार्यक्रम लंबे समय तक सफल रहे।

वनतारा भारत और दुनिया के समृद्ध वन्यजीव विरासत को बचाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। इसके तहत कई संरक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जिनमें कैद में पले गैंडों को सुरक्षित प्राकृतिक आवासों में बसाना, एशियाई शेरों की आबादी को बढ़ाने के लिए प्रजनन और उनके आवासों का संरक्षण व सफल प्रजनन कार्यक्रम के बाद भारतीय जंगलों में चीतों की वापसी सुनिश्चित करना शामिल है। स्पिक्स मैकॉ तोते की पुनर्वापसी वनतारा के प्रयासों का एक बड़ा उदाहरण है। इससे पता चलता है कि वंताारा प्रजातियों को बचाने और पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए कितनी गंभीर है। यह दुनिया भर में वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है।

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