उत्तर प्रदेशलखनऊ

प्रदेश के सत्ताधारी दल का कर्मचारी नहीं करेंगे सहयोग : इप्सेफ

लखनऊ, अमृत विचार। प्रदेश के सत्ताधरी दल की कर्मचारियों के प्रति रवैये को लेकर इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन (इप्सेफ ) ने आक्रोश व्यक्त किया है। साथ ही यह भी कहा है कि प्रदेश का सत्ताधारी दल कर्मचारियों और शिक्षकों की पीड़ा नहीं सुनेगा, तो कर्मचारी उनका सहयोग नहीं करेंगे। इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी पी मिश्र ने बताया कि देशभर के कर्मचारियों में अत्यधिक आक्रोश इसलिए है क्योंकि सत्ताधारी दल कर्मचारियों की पीड़ा को नहीं सुनते हैं।

उन्होंने कहा कि भीषण महंगाई में कर्मचारी परिवार दो रोज की रोटी भी नहीं खा पा रहा है, सरकार ने पुरानी पेंशन समाप्त कर दी है, महंगाई भत्ते की किस्त का भुगतान लंबित है। रिक्त पदों पर नियमित नियुक्तियां लंबित हैं पदोन्नतियां नहीं की जा रही हैं कर्मचारी संगठनों से सरकार एवं उच्च अधिकारी मांगों पर बैठक कर निराकरण नहीं करते हैं। आंदोलन करने पर पदाधिकारियों के स्थानांतरण कर दिए जाते हैं निलंबित कर दिया जाता है यहां तक कि भ्रष्टाचार के नाम पर प्रताड़ित किया जा रहा है।

महामंत्री प्रेमचंद्र ने बताया कि आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारियों का अलग शोषण हो रहा है आंगनबाड़ी सहायिका से तो स्वास्थ्य विभाग का कार्य भी लिया जा रहा है परंतु उनका पारिश्रमिक रोटी खाने भर को नहीं है। उन्हें नियमित करने के लिए कोई नीति नहीं है। राष्ट्रीय सचिव अतुल मिश्रा ने कहा कि सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों पर गठित वेतन समिति की रिपोर्ट 4 वर्ष से लंबित है जिससे वेतन विसंगतियां और कैडर पुनर्गठन नहीं हुआ है।

इप्सेफ की वर्चुअल बैठक में निर्देश दिया गया है कि भविष्य का चुनाव कर्मचारियों की समस्याओं को पूरा करने का वादा करने वाले प्रत्याशियों को ही अपना वोट दें। इसमें भी कर्मचारी हित का ध्यान दें। इप्सेफ पदाधिकारियों ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों से पुनः आग्रह किया है कि लाखों लाख कर्मचारी परिवार की पीड़ा को अपनी पीड़ा समझ कर संगठनों से संवाद करके आपसी सद्भाव का वातावरण बनाएं दुखी कर्मचारी की अनदेखी करके उनकी सरकार के लिए हितकर नहीं है।

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