उत्तर प्रदेशलखनऊ

बिजली कंपनियों के गिरते रेटिंग पर उपभोक्ता परिषद ने सख्त कार्रवाई की मांग की

  • नियामक आयोग में वाद दाखिल किया उपभोक्ता परिषद, कहा, उपभोक्ताओं पर पड़ेगा असर

लखनऊ। विद्युत नियामक आयोग 21 अप्रैल को व्यापक बिजली दर की बढोतरी पर आम जनता की सुनवाई करने जा रहा है। वैसे समय में बिजली कंपनियों रेटिंग सी माइनस अर्थात भारी गिरावट होने से परेशानी बढ़ गयी है। पावर फाइनेंस कारपोरेशन द्वारा जारी किये जाने वाले इस रेटिंग से अब 11 प्रतिशत से ज्यादा लांग टर्म लोन का ब्याज पावर कारपोरेशन को देना पड़ेगा, जबकि 2021-22 में यह 8.79 प्रतिशत था। उपभोक्ता परिषद ने इस मुद्दे पर लोग विद्युत नियामक आयोग में याचिका दाखिल कर विद्युत कंपनियों के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने मंगलवार को विद्युत नियामक आयोग के सदस्य बी के श्रीवास्तव व सचिव संजय कुमार सिंह से लंबी वार्ता की। यह सवाल उठा दिया है कि जब बिजली कंपनियों की रेटिंग वर्ष 2019 में केस्को बी प्लस तक पहुंच गई थी। पश्चिमांचल बी व अन्य तीनों बिजली कंपनियां मध्यांचल पूर्वांचल दक्षिणांचल सी प्लस में पहुंच गई थी। आज वह सभी बिजली कंपनियां 4 साल बाद 11वीं रेटिंग में एक सी और 4 कंपनी सी माइनस में पहुंच गई, जिसका सबसे ज्यादा नुकसान प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को होगा।

ऐसे में तत्काल विद्युत नियामक आयोग इस गंभीर मामले पर हस्तक्षेप करें। अन्यथा की स्थिति में बिजली कंपनियों की वित्तीय हालत खराब हो जाएगी और इसका बड़ा खामियाजा प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ेगा। अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि रेटिंग खराब होने से बिजली कंपनियां जब लोन लेती हैं तो उन्हें ज्यादा ब्याज देना पड़ता है। वर्ष 2021-22 में जहां बिजली कंपनियों ने लॉन्ग टर्म कुल लोन पर लगभग 8.79 प्रतिशत ब्याज दिया था, उसकी कुल रकम लगभग 1281 करोड़ थी।

वहीं वर्ष 2022-23 में लॉन्ग टर्म लोन पर लगभग 10.73 प्रतिशत ब्याज की दर थी, जो कुल रकम लगभग 1738 करोड थी जिसका खामियाजा प्रदेश की जनता ने बिजली दरों में भुगता था। अब बिजली कंपनियों की जो रेटिंग सामने आई है, उससे आने वाले समय में बिजली कंपनियों को 11 प्रतिशत से ऊपर लॉन्ग टर्म लोन पर ब्याज देना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कंपनियां कहती हैं कि उनके सभी पैरामीटर में बड़ा सुधार हुआ है, फिर उनकी रेटिंग क्यों गिरती जा रही है। इसके लिए कौन जिम्मेदार है। उसके खिलाफ क्या कठोर कदम उठाया जाएगा।

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