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नवजोत सिंह सिद्धू को जल्द मिल सकती है रिहाई, पंजाब सरकार को भेजी गई रिपोर्ट

पंजाब के पटियाला जेल में एक साल की जेल की सजा काट रहे पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर बड़ी खबर है कि उन्हें जल्द ही रिहाई मिल सकती है. सिद्धू अभी 34 साल पुराने रोडरेज के मामले में पटियाला जेल में हैं और सूत्रों के अनुसार उनको गणतंत्र दिवस के मौके पर अच्छे आचरण के कारण जेल से रिहा किया जा सकता है.

पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू अब तक साढ़े 6 महीने की सजा काट चुके हैं. नियमों के मुताबिक सिद्धू के लिए रिहाई से जुड़े सभी कारक उनके पक्ष में हैं. जेल प्रशासन ने गणतंत्र दिवस के मौके पर अच्छे आचरण की वजह से जिन कैदियों को रिहा करने की सिफारिश वाली सकारात्मक रिपोर्ट पंजाब सरकार को भेजी है उसमें नवजोत सिंह सिद्धू का नाम भी शामिल है.

जेल में बतौर क्लर्क काम कर रहे हैं सिद्धू

जेल में नवजोत सिंह सिद्धू का आचरण और क्लर्क के तौर पर उन्हें जेल के कामकाज की सौंपी गई जिम्मेदारी तथा जेल नियम होने के बावजूद कोई छुट्टी तक ना लेना ये सब कुछ नवजोत सिंह सिद्धू के पक्ष में जाता दिख रहा है. माना जा रहा है कि उन्हें जल्द रिहाई मिल सकती है. फिलहाल अब गेंद पंजाब सरकार के पाले में है.

दूसरी ओर, कहा जा रहा है कि सिद्धू के जेल से बाहर आने के बाद अहम पार्टी से जुड़े अहम काम सौंपा जा सकता है. हालांकि उनकी रिहाई की खबरों के बीच पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने को लेकर पार्टी की अनुशासनात्मक समिति के साथ उनके लंबित मामले के भाग्य पर टिकी है.

गवाह के तौर पर पेश हुए थे सिद्धू

इससे पहले, सिद्धू महीने की शुरुआत में 4 नवंबर को एक पूर्व मंत्री के खिलाफ कथित उत्पीड़न के एक अन्य मामले में गवाह के तौर पर वीडियो कांफ्रेंस के जरिये लुधियाना की एक अदालत में पेश हुए. सिद्धू मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (लुधियाना) सुमित मक्कड़ की अदालत में पेश हुए.

बर्खास्त पुलिस उपाधीक्षक बलविंदर सिंह सेखों ने पूर्व मंत्री भारत भूषण आशु के खिलाफ मामला दर्ज कराया है. सेखों की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि सिद्धू ने भू-उपयोग परिवर्तन मामले में सेखों की जांच अधिकारी के रूप में नियुक्ति के संबंध में जानकारी नहीं होने की बात कही.

सेखों ने आरोप लगाया था कि पूर्व खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री आशु ने कथित रूप से भू-उपयोग के एक मामले में जांच के दौरान उन्हें प्रताड़ित किया था और धमकाया था. उस समय सिद्धू स्थानीय सरकार के मंत्री थे.सेखों ने अदालत के समक्ष दलील दी थी कि सिद्धू को गवाह के रूप में बुलाया जाए, क्योंकि 2019 में मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान जांच के आदेश दिए गए थे और निष्कर्ष निकाला गया था.

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