उत्तर प्रदेशलखनऊ

ऑक्सीजन उपलब्धता में आत्मनिर्भर हुआ उत्तर प्रदेश

  • मेडिकल कॉलेजों में जनवरी तक तिगुनी हो जाएगी लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की क्षमता
  • -प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में 30 करोड़ और खर्च कर लगाए जा रहे ऑक्सीजन प्लांट
  • -एक जिला एक मेडिकल कॉलेज के तहत जल्द ही दो अन्य जिलों में कॉलेजों का होगा एमओयू

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुहिम का असर दिखने लगा है। प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों में स्वास्थ्य सुविधाओं से लेकर सेवाओं में भी वृद्धि हो रही है। प्रदेश अब ऑक्सीजन उपलब्धता में आत्मनिर्भर हो चुका है। इतना ही नहीं, जनवरी तक मेडिकल कॉलेजों में लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की क्षमता तिगुनी हो जाएगी। सरकार की ओर से मेडिकल कॉलेजों में 30 करोड़ रुपए और खर्च कर ऑक्सीजन प्लांट इंस्टाल कराए जा रहे हैं।

राज्य सरकार के एक प्रवक्ता का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी ने प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को चुस्त दुरुस्त करने के लिए पिछले पांच सालों में युद्ध स्तर पर कार्य किए हैं। सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों के क्षेत्र में दोगुने से अधिक की वृद्धि हुई है। इसी के मद्देनजर एक जिला, एक मेडिकल कॉलेज की नीति पर कार्य किया जा रहा है। योगी 2.0 के सौ दिनों में संभल और महराजगंज जिले में दो मेडिकल कॉलेजों से एमओयू भी किया जा चुका है और जल्द ही दो अन्य जिलों में मेडिकल कॉलेजों का एमओयू होने जा रहा है।

वैश्विक महामारी कोरोना में ऑक्सीजन की मांग सबसे अधिक देखी गई थी। जनवरी 2021 में प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की क्षमता 241 किलो लीटर थी, जिसे ढाई गुना बढ़ाकर 624 किलो लीटर कर दिया गया है। यही नहीं, अगले साल जनवरी तक 820 किलो लीटर तक और बढ़ाया जा रहा है। इसके अलावा हर मेडिकल कॉलेज में 20 किलो लीटर का टैंक अनिवार्य कर दिया गया है। अब मेडिकल कॉलेजों में लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की किल्लत नहीं होगी।

चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने बताया कि सीएम योगी के निर्देशानुसार मेडिकल कॉलेजों में ऑक्सीजन की उपलब्धता दोगुनी कर दी गई है। इसे और बढ़ाकर जनवरी तक तिगुना कर दिया जाएगा। इसके अलावा हर मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन टैंक अनिवार्य कर दिया गया है।

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