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आजादी के बाद जो सम्मान सावरकर को मिलना चाहिए, नहीं मिला: योगी आदित्यनाथ

  • वीर सावरकर ने मूल्यों और आदर्शों से समझौता नहीं किया

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आजादी के बाद जिन लोगों के हाथों में सत्ता आयी उन्होंने वीर सावरकर का सम्मान नहीं किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि वीर सावरकर की बात को कांग्रेस ने माना होता तो देश विभाजन नहीं होता। उस समय को नेतृत्व अगर दृढ़ इच्छाशक्ति् से निर्णय लेता तो देश विभाजन रूक सकता था।

मुख्यमंत्री शनिवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में वीर सावरकर की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘वीर सावरकर’ का विमोचन किया। इस पुस्तक को केन्द्रीय सूचना आयुक्त उदय माहूरकर और चिरायु पंडित ने लिखी है।

योगी आदित्यनाथ ने पुस्तक विमोचन के अवसर पर कहा कि वीर सावरकर ने मूल्यों और आदर्शों से समझौता नहीं किया। 1857 को पहली बार किसी क्रांतिकारी ने कहा था कि यह विद्रोह नहीं यह सम्पूर्ण भारत में एक समय पर लड़ने वाला स्वतंत्रता संग्राम है। वीर सावरकर को एक ही जन्म में दो-दो आजीवन कारावास की सजा। एक ही जेल में दो-दो भाई बंद हैं। दीवारों पर उन्होंने नाखून से लिखा। ब्रिटिश उनसे भयभीत रहते थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि देश को आजाद कराने के लिए वीर सावरकर की संपत्ति जब्त की गयी थी। 1960 तक उनकी संपत्ति वापस नहीं मिली थी। उनसे लोगों ने कहा देश आजाद हो चुका है और आपकी संपत्ति नहीं मिली तब सावरकर ने कहा कि मेरी लड़ाई अपनी पैतृक संपत्ति के लिए नहीं थी। हमारी लड़ाई भारत की स्वाधीनता के लिए थी।

योगी ने कहा कि वीर सावरकर ने कहा था कि मेरा हिन्दुत्व किसी संकुचित दायरे में सीमित नहीं है। हिन्दू की परिभाषा क्या हो सकती है। बिना किसी विवाद के आसिन्धु सिन्धुपर्यन्ता यस्य भारत भूमिका ।पितृभू: पुन्यभूश्चैव स वै हिंदुरिति स्मृत: इस परिभाषा को सावरकर ने दिया। सावरकर ने कहा था कि जिन्ना की दृष्टि संकुचित है वह केवल मुस्लिम की बात करता है।

 

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