देशबड़ी खबर

हत्या और टेरर फंडिंग के मामले में यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा

  • कोर्ट के फैसले के बाद यासीन मलिक ने एमिकस क्यूरी एपी सिंह को गले लगाया
  • कोर्टरूम की डॉग स्क्वॉयड से हुई जांच, परिसर में रही कड़ी सुरक्षा व्यवस्था
  • यूएपीए की धारा 17 के तहत दस लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया

नई दिल्ली। दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने हत्या और टेरर फंडिंग के मामले में दोषी करार दिए गए यासीन मलिक को उम्रकैद और 10 लाख जुर्माना की सजा सुनाई है। स्पेशल जज प्रवीण सिंह ने ये फैसला सुनाया। एनआईए ने यासीन मलिक को फांसी की सजा देने की मांग की थी। कोर्ट के फैसले के बाद यासीन मलिक ने एमिकस क्यूरी एपी सिंह को गले लगाया।

इससे पहले यासीन मलिक को दिल्ली की पटियाला कोर्ट लाकर हवालात में रखा गया। सजा का ऐलान किये जाने के समय उसे कोर्टरूम ले जाया गया। इससे पहले कोर्ट में सजा पर बहस के बाद दोपहर में कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। सजा के ऐलान से पहले कोर्टरूम के बाहर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई। सुरक्षाकर्मियों के अलावा सादे कपड़ों में भी सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की गई। कोर्टरूम में डॉग स्क्वॉयड के जरिए जांच की गई।

कोर्ट ने यासीन मलिक पर यूएपीए की धारा 17 के तहत उम्रकैद और दस लाख रुपये का जुर्माना, धारा 18 के तहत दस साल की कैद और दस हजार रुपये का जुर्माना, धारा 20 के तहत दस वर्ष की सजा और 10 हजार रुपये का जुर्माना, धारा 38 एवं 39 के तहत पांच साल की सजा और पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।

कोर्ट ने यासीन मलिक पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी के तहत दस वर्ष की सजा और दस हजार रुपये का जुर्माना, धारा 121ए के तहत दस साल की सजा और दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने कहा कि यासीन मलिक को मिली ये सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। इसका मतलब की अधिकतम उम्रकैद की सजा और दस लाख रुपये की सजा प्रभावी होगी।

कोर्ट के फैसले के बाद यासीन मलिक ने एमिकस क्यूरी एपी सिंह को गले लगाया। एपी सिंह ने कोर्ट से न्यूनतम सजा की मांग की थी जबकि एनआईए ने फांसी की सजा की मांग की थी। आज शाम फैसला सुनाने से पहले पूरे कोर्ट परिसर की डॉग सक्वॉड से जांच कराई गई। उसके बाद यासीन मलिक को कड़े सुरक्षा बंदोबस्त के बीच कोर्टरूम में पेश किया गया। सुनवाई के दौरान यासीन मलिक ने कहा कि वो कुछ नहीं मांगेगा, कोर्ट को जो फैसला करना है करे।

कोर्ट ने यासीन मलिक को 19 मई को दोषी करार दिया था। 10 मई को यासीन मलिक ने अपना गुनाह कबूल कर लिया था। 16 मार्च को कोर्ट ने हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन, यासीन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, राशिद इंजीनियर, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताफ अहमद शाह, अवतार अहम शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला समेत दूसरे आरोपितों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था।

एनआईए के मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया। 1993 में अलगवावादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए आल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई।

एनआईए के मुताबिक हाफिद सईद ने हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं के साथ मिलकर हवाला और दूसरे चैनलों के जरिये आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन का लेन-देन किया। इसका उपयोग वे घाटी में अशांति फैलाने, सुरक्षा बलों पर हमला करने, स्कूलों को जलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए किया। इसकी सूचना गृह मंत्रालय को मिलने के बाद एनआईए ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 121, 121ए और यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18, 20, 38, 39 और 40 के तहत केस दर्ज किया था।

संबंधित समाचार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button